शिकवे के गम के रंज की और प्यार की चिट्ठी
देखो कितने जमाने बाद आयी यार की चिट्ठी
समझो न इसको प्यार के इकरार की चिट्ठी
बस नशेमन ही भेज दी त्यौहार की चिट्ठी
लिखते तो चार लब्ज में कागज की पीठ पर
पर भेजी है चार पेज में बेकार की चिठ्ठी
तितली को गुमान था अपने फूल की खातिर
पर खुश्बू के हाथ भेंज दी इन्तजार की चिठ्ठी
की रुखसत के वक्त जिसने मुझे देखा तक नहीं
आज भेजी है उसने प्यार के इजहार की चिठ्ठी
कवि :-सुनील कुमार
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