नबाब साहेब
मै हूँ एकदम अय्यास नबाब
कहते है मुझे इंसान ख़राब
शराब-शबाब है मेरा शौक
पर पड़ गया मै एक दिन चौंक
शराब-शबाब का नशा जो उखड़ा
कुर्सी को था मैं कसकर पकड़ा
मेरी आँखे कर रहीं थी कई सवाल
वो लड़की है या कोई बवाल
जिसकी एंट्री थी एकदम कमाल
अब मैंने भी लिया खुद को संभाल
कहते है मुझे इंसान ख़राब
हड्डी में थे कई कबाब
दिया मैंने उन्हें कभाक-कभाक
शराब-शबाब का आदत छूटा
नबाब होने का अभिमान भी टूटा
बन गया मै सदाबाहर
मुझको मिल गयी जानेबहार
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