Breaking

Sunday, September 15, 2019

अकबर और बीरबल की मजेदार दो कहानियां - बकरी की देखभाल और अकेला मुर्गा

-बकरी की देखभाल :-

अकबर और बीरबल की मजेदार कहानी:-

एक दिन बादशाह अकबर ने बीरबल को एक बकरी दी और कहा, "इसे जितनी खुराक दी जाती है, उसकी दोगुनी खुराक देनी शुरू कर दो और जब मैं आठ दिन बाद इसका वजन करूँ तो इसके वजन में कोई फर्क नहीं होना चाहिए। " बीरबल बकरी को अपने साथ लेकर चले गए और बादशाह के हुक्म के मुताबिक उसे दोगुनी खुराक देनी शुरू कर दी। रात के वक़्त वह एक कसाई को उसके हाथ में छुरी देकर, बकरों के सामने  बैठा दिया करते थे. बकरी दिन भर में जितनी भी खुराक खाती, रात को कसाई के हाथ में छुरी देखकर बकरी की हालत ख़राब हो जाती थी, और दिन भर की खुराक बराबर हो जाया करती थी। आठ दिन बाद जब बादशाह अकबर के सामने बकरी को लाया गया तो बकरी के वजन में कोई फर्क नहीं आया था , बादशाह ने हैरान होकर इस राज को बीरबल से पूछा तो बीरबल ने अपनी सारी बात, जो कमाई की छुरी दिखाने वाली थी, बादशाह को बता दी कि किस तरह बकरी का वजन बराबर ही रहा। बादशाह अकबर बीरबल की इस चतुराई से बेहद प्रसन्न हुए।  


२ -अकेला मुर्गा :-


एक दिन बीरबल का उपहास उड़ाने के लिए बादशाह ने कई लोगों से मिलकर योजना बना डाली। योजना के अनुसार एक पानी के हौज में कुछ अंडे डाल दिए। दरबारी एक-एक कूदते जाते और अंडा लाते। सबसे बाद में बीरबल कूदे। बीरबल जब बाहर निकले तो खाली हाथ। अंडा कैसे लाते, जितने अंडे थे उतने दरबारी एक-एक ला चुके थे। वह और अंडे थे ही नहीं। बीरबल को खाली हाथ आता देख सब हसने लगे। बीरबल चुप रहे। बादशाह ने बीरबल का मजाक उड़ाते हुए कहा- सब लोग एक-एक अंडा ढूंढ लाये, तुम कुछ नहीं लाये। क्यों क्या बात है ? हार गए न। नहीं ढूंढ सके ?"बीरबल ने बड़े नम्र स्वर में कहा- यह बात नहीं है हुजूर। ""तो क्या बात है ? ""बात यह है की मैं ही अकेला मुर्गा हूँ, जो मुर्गियां थी वे ही तो अंडा दे सकती थीं। इतनी मुर्गियों ने मेरी बदौलत अंडे दिए हैं। "फिर क्या था , "बादशाह बहुत जोर का ठहाका लगाकर है पड़े और बीरबल के विरोधी मुँह लटका कर रह गए। "
अकबर और बीरबल की मजेदार दो कहानियां - बकरी की देखभाल और अकेला मुर्गा

 


सुनील कुमार :-







No comments:

Post a Comment