यादें
आती हैं यादें सताती हैं यादें
बिखरे लम्हों को समेटता हुं तो
आँखों से आँसू छलकाती है यादें
सुना- सुना सा रहता है ये मन,सुनी है ये दीवारें
चुपके से कानो में आकर बताती है यादें
छूटा अपना साथ, दिल पे लगा आघात
तब से हर पल नींद को
आँखों से जगाती है यादें
छिपती -छिपाती होठों पर आकर
किसी न किसी को सुनाती है यादें
कवि:-सुनील कुमार
No comments:
Post a Comment