शराबी
सोचा था मैखाने में जाकर,तेरी हर एक याद भुला को भुला दूँगा
इतनी पिऊंगा शराब की तुझे भूल से भी ख्यालों में न आने दूंगा
मेरी जिल्लत से भरी जिंदगी को देखकर तुम्हे रोना तो जरूर आएगा
पर ऐ जालिम बेवफा लड़की,तुझे अपने आँसू पोछने का अधिकार मैं नहीं दूंगा
तू छोड़कर भी आएगी अपने शौहर का घर अगर,
हाथ नहीं आऊंगा तेरे दोबारा, ऐ मेरे मेहबूब ऐ मेरे हमसफर
तू रोयेगी गिड़गिड़ायेगी, मेरे पैरों पर सर रखकर,
फिर भी, तेरी आवाज़ मेरी कानो में सुनाई नहीं देगी
फिर से मुझे आजमाने की कोशिश न करना, वर्ना पछताओगे बहुत
क्यूंकि अब मैं नहीं आऊंगा तेरे फ़साने में
तितली
सुर्ख फूलों ने किसी त्यौहार को जिन्दा किया
एक तितली ने सभी के प्यार को जिन्दा किया
और तुम हुए सागर तो मैं भी एक बादल कि तरह मिट गया
मिटकर नदी की धार को जिन्दा किया
तुमने बागवान से फूलों की कीमत पूछकर
खुश्बू के बेजान बाजार को जिन्दा किया
कवि:- सुनील कुमार
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