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Wednesday, September 4, 2019

पहली मुलाकात

पहली मुलाकात 


फूल भी  झुक  गए शर्म  से 
वो जो गुजरे बगिया के राहों  से 
कहते है हम झूठ अगर तो
कोई पूछ ले इन हवाओं से
घटाएं जो ढल रही थीं कालामय होकर 
उनके चेहरे की चमक को देखकर 
वो भी अपना रंग बदल रही हैं
मुर्झायी हुई कलियाँ भी अब नरम हो रही हैं
शुक्र है उनसे मेरी मुलाकात ही कम हुई 
दुःख तो कम हुआ उनसे बिछड़ने का
बस थोड़ी सी आँखे ही नम हुई 
अब नहीं मिलती ख़ुशी भी इन नजारों से 
क्योकिं उठ गयी है डोली उनकी 
कोई पूछ ले इन कहारों से.

                                                                                                            कवि:-सुनील कुमार



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