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Thursday, September 5, 2019

आँसू

आंसू भरी जिन्दगी की थोड़ी सच्चाई     
सपने सिर्फ अपने और हकीकत 
पराई 
हर पल हकीकत सपनो में बदल जाती है 
जीती जगती मूरत तस्वीर भर रह जाती है 
हर इंसान कि यही कहानी है ,
इस जहाँ का जीवन,जीवन नहीं सिर्फ पानी है
जिंदगी को मोतिओं सा अपने बनाना तुम
हर एक याद  को पलकों में बिठाना तुम 
हँसता चेरा सदा मुस्कुराता  रहा
तुमने किया जो वादा, वो वादा ही रहा
कैसे करे ऐतबार इस जिन्दगी  का 
मिलती है थोड़ी सी खुशी 
फिर ढेर सारा गमो का अम्बार
क्या कहें अब हम कहते तो ये आँसू हैं 
कि 
"आंसू भरी जिन्दगी की थोड़ी सच्चाई 
सपने सिर्फ अपने और हकीकत पराई" 
आँसू
                                                   










       कवि:-सुनील कुमार

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