मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध :-
लक्ष्य निर्धारण से ज्ञानेन्द्रिओं की शक्ति बढ़ती है :-
दोस्तों हम जो कुछ भी समझते हैं वह हमारी पांचो ज्ञानेन्द्रिओं के माध्यम से संभव होता है:-
आँखों से देखते हैं, कानो से सुनते हैं, नाक से सूंघते हैं, जिह्वा से स्वाद लेते हैं, त्वचा से छूते हैं।
दोस्तों क्या आप जानते है कि प्रतिक्षण अरबों-खरबों सूचनाएं हमारी इन इन्द्रिओं के संपर्क में आती हैं। परन्तु हम इनकी छटनी करते हैं, और इनमे से ही चयन करते हैं। लक्ष्य का निर्धारण हमे लक्ष्य के अनुरूप आवश्यक सूचनाओं प्राप्त करने के योग्य बनाता है। आवश्यक सूचनाओं को हमारी इन्द्रियां अस्वीकृत कर देती हैं। यूँ कहे कि ये हमारी ऊर्जा को, शक्ति को, लक्ष्य प्राप्ति की ओर केन्द्रित कर देतीं हैं। आधुनिक विज्ञानं इसे कोशिकीय संचालन प्रणाली, (Reticular Activationg System) कहता है। इस प्रकार यह हमारी एकाग्रता को लक्ष्य की दिशा में बढ़ाता है। बिना लक्ष्य के हम गहरे सागर में भटकते दिशाहीन जहाज के समान है। बिना लक्ष्य हमारी ऊर्जा व्यर्थ हो जाती है।
लक्ष्य के लक्षण:-
प्रतिदिन हम अपने लक्ष्य का विचार करें। मुख्य लक्ष्य को उपलक्ष्यों में बांटा जा सकता है।
हमारा लक्ष्य स्पष्ट रूप में , BE SMART नियम के अनुरूप होना चाहिए।
B = बड़ा ( BIG)
E = जोशीला (EXCITING)
S = विशिष्ट (SPECIFIC)
M = मापने योग्य (MEASURABLE)
A = प्राप्ति योग्य (ATTAINABLE)
R = तर्कपूर्ण (REASONABLE)
T = समय सीमा के साथ (TIME SENSE)
लक्ष्य की विशेषताएँ:-
दोस्तों हमारे लक्ष्य में निम्न गुण होने चाहिए ताकि लक्ष्य को साकार करने में मदद मिल सके। ताकिं लक्ष्य को तय करने में कोई ऐसी गलती न हो जिससे लक्ष्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़े।
1. बड़ा --- लक्ष्य थोड़ा बड़ा होने से हमे प्रेरणा मिलती है। इससे व्यक्ति को उत्साह मिलता है। छोटा लक्ष्य व्यक्ति को प्रेरित नहीं कर पता है।
2. उत्साहवर्धक ---लक्ष्य हमे उत्तेजना देने वाला होना चाहिए। लक्ष्य के सकारात्मक व् बहुत अच्छा न होने पर व्यक्ति का मन नहीं लगेगा।
3. विशिष्ट --- लक्ष्य को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना बहुत जरुरी है। जैसे कि मुझे आगे बढ़ना है इस तरह का लक्ष्य स्पष्ट नहीं होने से प्रेरणा नहीं मिलती है।
4. मापने योग्य ---लक्ष्य को हमेशा मापने योग्य आदि अंको में रखें ताकि उसको मापा जा सकें। मुझे धन कमाना है कि बजाय मुझे 50 लाख रुपये कमाने हैं।
5. समय सीमा --- लक्ष्य निर्माण करते वक़्त उसको प्राप्त करने में लगने वाले समय की सीमा ज्ञात होनी चाहिए। समय कि योजना हो कि इस समय में इस प्रकार इसे साकार किया जा सकता है।
दोस्तों समय सीमा को परिस्थिति के अनुसार परिवर्तित किया जा सके, लेकिन समय की सीमा अवश्य रखनी चाहिए ताकि साकार करने में मेहनत समय पर की जा सके।
दोस्तों आइये जानने का प्रयास करते हैं कि लक्ष्य कैसे निर्धारित करें ?
लक्ष्य कैसे निर्धारित करें ?
दोस्तों , लक्ष्य -चयन का एक तरीका यह है कि आप स्वयं निम्न प्रश्न पूछें और उनका उत्तर भी स्वयं दें।
1. आप जीवन में क्या बनना चाहते हैं ?
2 . आप अपने आप से क्या अपेक्षा रखते हैं ?
3 . आप अपना भविष्य कैसे उपयोगी बनाना चाहते हैं ?
4 . आप को कौन सी वस्तु या बात सर्वप्रिय है ?
5 . आप को कौन सी वस्तु या बात प्रिय नहीं है ?
6 . आने वाले वर्ष एवं आगे के 5 वर्षों की आपकी क्या योजना है ?
तो दोस्तों उम्मीद करता हूँ कि यह पोस्ट आप लोगों को जरूर पसंद आयी होगी ,
और मेरे ब्लॉग पर आने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
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