बचपन भूल गए वो दिन जब हम भी बच्चे थे सभी के आँखों के तारे पर अक्ल के कच्चे थे हमने भी सीखा था उंगली पकड़ के चलना आये आँखों में आँसुओं को इन हाथों से मलना मचलती है ये आंखे उस बचपन को देखने को पर इस स्मृति के आगे मेरी चलती है एक ना ........... कवि:-सुनील कुमार
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